मत्ती के मुताबिक खुशखबरी 28:1-20
कई फुटनोट
अध्ययन नोट
सब्त: शा., “सब्तों।” इस आयत में यूनानी शब्द सैब्बातोन का बहुवचन दो बार इस्तेमाल हुआ है। पहली बार इसका मतलब है, सब्त का दिन यानी हफ्ते का सातवाँ दिन। इसलिए इसका अनुवाद “सब्त” किया गया है। दूसरी बार इसका मतलब है, पूरे सात दिन। इसलिए इसका अनुवाद हफ्ते के किया गया है। सब्त का दिन (नीसान 15) सूरज ढलने पर खत्म हो गया। कुछ लोग मानते हैं कि मत्ती यहाँ “सब्त के बाद” की शाम की बात कर रहा था। लेकिन खुशखबरी की दूसरी किताबों से साफ पता चलता है कि औरतें नीसान 16 की ‘सुबह’ “जब सूरज निकला ही था” तब कब्र को देखने आयीं।—मर 16:1, 2; लूक 24:1; यूह 20:1; शब्दावली और अति. ख12 भी देखें।
हफ्ते के पहले दिन: यानी नीसान 16. यहूदियों के लिए सब्त के बाद का दिन, हफ्ते का पहला दिन होता था।
यहोवा का स्वर्गदूत: ये शब्द इब्रानी शास्त्र में कई बार इस्तेमाल हुए हैं और पहली बार उत 16:7 में आए हैं। सेप्टुआजेंट की शुरूआती कॉपियों में जब भी ये शब्द आए हैं तो पहले यूनानी शब्द एगीलोस (स्वर्गदूत; दूत) लिखा गया है और उसके बाद इब्रानी अक्षरों में परमेश्वर का नाम लिखा गया है। सेप्टुआजेंट की एक कॉपी में जक 3:5, 6 में ये शब्द इसी तरह लिखे हुए हैं। यह कॉपी इसराएल की नहल हेवर नदी के पास पायी गयी जो ईसा पूर्व 50 से ईसवी सन् 50 के बीच की है। (अति. ग देखें।) बाइबल के कई अनुवादों में इस आयत में परमेश्वर का नाम यहोवा पाया जाता है।—अति. क5 और अति. ग देखें।
यहोवा का दूत: मत 1:20 का अध्ययन नोट और अति. ग देखें।
उसके चेलों को बताओ कि उसे मरे हुओं में से ज़िंदा कर दिया गया है: चेलों में से सबसे पहले इन औरतों को बताया गया कि यीशु ज़िंदा हो गया है। यही नहीं, इन्हें यह भी हिदायत दी गयी कि वे जाकर इस बारे में दूसरे चेलों को बताएँ। (मत 28:2, 5, 7) यहूदी परंपरा के मुताबिक, जो शास्त्र पर आधारित नहीं थी, औरतों को अदालत में गवाही देने की इजाज़त नहीं थी। लेकिन यहोवा के स्वर्गदूत ने इन औरतों को खुशी की यह खबर देने का काम सौंपकर उनका आदर किया।
उसे झुककर प्रणाम किया: या “उसे दंडवत किया; उसके सामने मुँह के बल ज़मीन पर लेट गयीं; उसका सम्मान किया।”—मत 8:2; 14:33; 15:25 के अध्ययन नोट देखें।
झुककर उसे प्रणाम किया: या “उसे दंडवत किया; उसका आदर किया।” इब्रानी शास्त्र में बताए लोग भी जब भविष्यवक्ता, राजा या परमेश्वर के दूसरे प्रतिनिधियों से मिलते थे तो वे झुककर उन्हें प्रणाम करते थे। (1शम 25:23, 24; 2शम 14:4-7; 1रा 1:16; 2रा 4:36, 37) ज़ाहिर है कि यह कोढ़ी आदमी समझ गया कि वह परमेश्वर के प्रतिनिधि से बात कर रहा है, जिसमें लोगों को ठीक करने की ताकत है। इसलिए जब उसने यहोवा के ठहराए राजा का आदर करने के लिए झुककर प्रणाम किया तो उसने सही किया।—मत 9:18; यहाँ इस्तेमाल हुए यूनानी शब्द के बारे में ज़्यादा जानने के लिए मत 2:2 का अध्ययन नोट देखें।
उसे झुककर प्रणाम किया: या “उसे दंडवत किया; उसका सम्मान किया।” ये लोग समझ गए कि यीशु, परमेश्वर का प्रतिनिधि है। उन्होंने उसे इसलिए झुककर प्रणाम किया कि वह “परमेश्वर का बेटा” है, न कि कोई ईश्वर या देवता।—मत 2:2; 8:2; 18:26 के अध्ययन नोट देखें।
उसे झुककर प्रणाम करके: या “उसे दंडवत करके; उसका सम्मान करके।” जब इस गैर-यहूदी औरत ने यीशु को ‘दाविद का वंशज’ कहा (मत 15:22), तो ज़ाहिर है कि वह मान रही थी कि यीशु वादा किया हुआ मसीहा है। इसलिए उसने यीशु को परमेश्वर का प्रतिनिधि समझकर प्रणाम किया, न कि कोई ईश्वर या देवता मानकर।—मत 2:2; 8:2; 14:33; 18:26 के अध्ययन नोट देखें।
मेरे भाइयों: यीशु के चेले उसके पिता की उपासना करते हैं और इस वजह से उनका यीशु के साथ नज़दीकी रिश्ता है। इसीलिए यहाँ यीशु ने उन्हें अपने ‘भाई’ कहा।—मत 28:16 देखें; मत 25:40; यूह 20:17; इब्र 2:10-12 से तुलना करें।
मुखियाओं: मत 16:21 का अध्ययन नोट देखें।
मुखियाओं: शा., “बुज़ुर्गों।” बाइबल में यूनानी शब्द प्रेसबाइटेरोस खासकर ऐसे लोगों के लिए इस्तेमाल हुआ है जो समाज या देश में अधिकार और ज़िम्मेदारी के पद पर थे। हालाँकि यह शब्द कभी-कभी बड़ी उम्र के लोगों के लिए इस्तेमाल हुआ है (जैसे लूक 15:25 में “बड़ा बेटा” और प्रेष 2:17 में “बुज़ुर्ग”), लेकिन इसका हमेशा यही मतलब नहीं है। यहाँ इस शब्द का मतलब है यहूदी राष्ट्र के अगुवे, जिनका ज़िक्र अकसर प्रधान याजकों और शास्त्रियों के साथ किया जाता है। महासभा इन्हीं तीन समूहों के आदमियों से मिलकर बनी होती थी।—मत 21:23; 26:3, 47, 57; 27:1, 41; 28:12; शब्दावली में “मुखिया; बुज़ुर्ग” देखें।
यह बात: यानी रोमी सैनिकों का झूठ कि वे सो गए थे। अगर कोई रोमी सैनिक पहरा देते वक्त सो जाता तो उसे मौत की सज़ा दी जा सकती थी।
राज्यपाल: यानी पुन्तियुस पीलातुस।
मिलने के लिए: ज़ाहिर है कि गलील में 500 से भी ज़्यादा लोग यीशु से मिलने गए थे।—1कुर 15:6.
कुछ ने शक किया: 1कुर 15:6 से ज़ाहिर होता है कि शक करनेवाले ये लोग प्रेषितों में से नहीं बल्कि गलील के उन चेलों में से थे जिनके सामने यीशु अब तक प्रकट नहीं हुआ था।
सब राष्ट्रों के लोगों: यूनानी शब्द का शाब्दिक अनुवाद है “सब राष्ट्रों,” लेकिन संदर्भ से पता चलता है कि इस शब्द का मतलब है, सभी राष्ट्र के लोग। ऐसा इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि उन्हें का यूनानी सर्वनाम पुल्लिंग है और इसका मतलब है लोग, जबकि “राष्ट्र” का यूनानी सर्वनाम नपुंसक लिंग है। “सब राष्ट्रों के लोगों” को प्रचार करने की यह आज्ञा नयी थी। यीशु की प्रचार सेवा से पहले, शास्त्र में बताया गया है कि गैर-यहूदियों को इसराएल में तभी स्वीकार किया जाता था जब वे यहोवा की सेवा करने के इरादे से आते थे। (1रा 8:41-43) लेकिन इस नयी आज्ञा में यीशु ने अपने चेलों से कहा कि वे न सिर्फ पैदाइशी यहूदियों को बल्कि दूसरे लोगों को भी प्रचार करें। इस तरह उसने ज़ोर दिया कि मसीहियों को पूरी दुनिया में चेले बनाने का काम करना है।—मत 10:1, 5-7; प्रक 7:9; मत 24:14 का अध्ययन नोट देखें।
चेला बनना सिखाओ: यूनानी क्रिया मथेत्यूयो का अनुवाद “सिखाना” किया जा सकता है ताकि लोगों को शिष्य या चेला बनाया जा सके। (मत 13:52 से तुलना करें, जहाँ इसका अनुवाद “सिखाया गया है” किया गया है।) “बपतिस्मा दो” और “सिखाओ” क्रियाएँ दिखाती हैं कि ‘चेला बनाने’ में क्या-क्या शामिल है।
पिता, बेटे और पवित्र शक्ति: पिता यानी यहोवा परमेश्वर के अधिकार को मानना आसान है क्योंकि वह हमारा सृष्टिकर्ता और जीवन देनेवाला है। (भज 36:7, 9; प्रक 4:11) लेकिन बाइबल बताती है कि हमें यह भी समझना चाहिए कि परमेश्वर के मकसद में उसके बेटे की क्या भूमिका है, क्योंकि तभी हमें उद्धार मिल सकता है। (यूह 14:6; प्रेष 4:12) इसके अलावा, यहोवा की पवित्र शक्ति की भूमिका समझना भी ज़रूरी है जिसे परमेश्वर कई कामों के लिए इस्तेमाल करता है। जैसे, जीवन देने के लिए (अय 33:4), इंसानों तक अपना संदेश पहुँचाने के लिए (2पत 1:21) और लोगों को ताकत देने के लिए ताकि वे उसकी मरज़ी पूरी कर सकें (रोम 15:19)। कुछ लोग मानते हैं कि इस तरह तीनों का ज़िक्र करना त्रिएक की शिक्षा का समर्थन करता है, लेकिन बाइबल में कहीं नहीं बताया गया है कि तीनों ही हमेशा से वजूद में रहे और तीनों के पास बराबर शक्ति और अधिकार है। एक ही आयत में तीनों का ज़िक्र एक-साथ होना यह साबित नहीं करता कि तीनों परमेश्वर हैं, हमेशा से वजूद में हैं और बराबर हैं।—मर 13:32; कुल 1:15; 1ती 5:21.
पवित्र शक्ति: या “पवित्र ज़ोरदार शक्ति।” शब्द “शक्ति” (यूनानी में नपुंसक लिंग) का मतलब कोई व्यक्ति नहीं बल्कि परमेश्वर से मिलनेवाली ताकत है, जो ज़बरदस्त तरीके से काम करती है।—शब्दावली में “पवित्र शक्ति”; “रुआख; नफ्मा” देखें।
के नाम से: “नाम” के यूनानी शब्द (ओनोमा) का मतलब एक व्यक्ति का सिर्फ नाम नहीं है। इस संदर्भ में “के नाम से” का मतलब है, पिता और बेटे के अधिकार और ओहदे को मानना और पवित्र शक्ति की भूमिका को समझना। ऐसा तब होता है जब एक व्यक्ति परमेश्वर के साथ रिश्ता बनाता है।—मत 10:41 के अध्ययन नोट से तुलना करें।
कि वह भविष्यवक्ता है: शा., “भविष्यवक्ता के नाम से।” “के नाम से” एक यूनानी मुहावरा है जिसका इस आयत में मतलब है, एक भविष्यवक्ता के ओहदे और काम का आदर करना।—मत 28:19 के अध्ययन नोट से तुलना करें।
सारे जगत . . . सब राष्ट्रों: इन शब्दों से पता चलता है कि प्रचार काम कितने बड़े पैमाने पर किया जाएगा। “सारे जगत” के यूनानी शब्द (ओइकूमीने) का आम तौर पर मतलब होता है, पृथ्वी। (लूक 4:5; प्रेष 17:31; रोम 10:18; प्रक 12:9; 16:14) पहली सदी में यह शब्द विशाल रोमी साम्राज्य के लिए भी इस्तेमाल होता था, जहाँ यहूदी अलग-अलग जगहों में रहते थे। (लूक 2:1; प्रेष 24:5) “राष्ट्र” के लिए यूनानी शब्द (ईथनोस) का आम तौर पर मतलब होता है, ऐसे लोगों का समूह जिनका एक-दूसरे से खून का रिश्ता है और जो एक भाषा बोलते हैं। ऐसे लोग अकसर एक ही देश में रहते हैं।
सिखाता और . . . प्रचार करता रहा: सिखाने और प्रचार करने में फर्क है। प्रचार करने का मतलब है संदेश सुनाना, जबकि सिखाने में हिदायतें देना, समझाना, दलीलें देकर कायल करना और सबूत देना भी शामिल है।—मत 3:1; 28:20 के अध्ययन नोट देखें।
प्रचार करने लगा: इनके यूनानी शब्द का बुनियादी मतलब है, “लोगों को सरेआम संदेश सुनाना।” इससे संदेश सुनाने का तरीका पता चलता है और वह है: सरेआम सब लोगों को संदेश सुनाना, न कि एक समूह को उपदेश देना।
उन्हें . . . सिखाओ: जिस यूनानी शब्द का अनुवाद “सिखाना” किया जाता है उसमें हिदायतें देना, समझाना, दलीलें देकर कायल करना और सबूत देना भी शामिल है। (मत 3:1; 4:23 के अध्ययन नोट देखें।) यीशु ने कहा कि लोगों को वे सारी बातें मानना सिखाओ जिनकी उसने आज्ञा दी है। यह काम लगातार किया जाना है। इसमें यह सिखाना भी शामिल है कि वे कैसे यीशु की शिक्षाएँ दूसरों को सिखा सकते हैं, खुद उन्हें लागू कर सकते हैं और उसकी मिसाल पर चल सकते हैं।—यूह 13:17; इफ 4:21; 1पत 2:21.
देखो!: मत 1:23 का अध्ययन नोट देखें।
दुनिया की व्यवस्था: या “ज़माने।”—शब्दावली में “दुनिया की व्यवस्था या व्यवस्थाएँ” देखें।
आखिरी वक्त: मत 24:3 का अध्ययन नोट और शब्दावली में “दुनिया की व्यवस्था का आखिरी वक्त” देखें।
आखिरी वक्त: इनके यूनानी शब्द सिनटीलीया का मतलब है, “मिलकर अंत होना; एक-साथ अंत होना।” (मत 13:39, 40, 49; 28:20; इब्र 9:26) यहाँ उस दौर की बात की जा रही है जब कई घटनाएँ एक-साथ होंगी और उसके बाद दुनिया का पूरी तरह “अंत” हो जाएगा, जिसके बारे में मत 24:6, 14 में बताया गया है। इन आयतों में “अंत” के लिए एक अलग यूनानी शब्द टीलोस इस्तेमाल हुआ है।—मत 24:6, 14 के अध्ययन नोट और शब्दावली में “दुनिया की व्यवस्था का आखिरी वक्त” देखें।
देख!: इसका यूनानी शब्द आइडू है और इसका इस्तेमाल अकसर आगे की बात पर ध्यान खींचने के लिए किया गया है ताकि पढ़नेवाला बतायी जा रही घटना की कल्पना कर सके या उसकी बारीकी पर ध्यान दे सके। यह शब्द किसी बात पर ज़ोर देने के लिए या कोई नयी या हैरानी की बात बताने से पहले भी इस्तेमाल किया गया है। मसीही यूनानी शास्त्र में यह शब्द सबसे ज़्यादा बार मत्ती, लूका और प्रकाशितवाक्य की किताबों में आया है। इसी से मिलता-जुलता शब्द इब्रानी शास्त्र में भी अकसर इस्तेमाल हुआ है।
तसवीर और ऑडियो-वीडियो
यहूदी आम तौर पर गुफाओं या चट्टानों को काटकर बनायी गयी कब्रों में लाश दफनाते थे। राजाओं की कब्रों को छोड़ बाकी सभी कब्रें शहरों से बाहर होती थीं। गौर करने लायक बात यह है कि जो यहूदी कब्रें मिली हैं, वे बहुत सादी हैं। ऐसा इसलिए था क्योंकि सबूत दिखाते हैं कि यहूदी न तो मरे हुओं की पूजा करते थे और न ही अमर आत्मा की शिक्षा को बढ़ावा देते थे।