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गीत 57

हर किस्म के लोगों को सच्चाई बताएँ

हर किस्म के लोगों को सच्चाई बताएँ

(1 तीमुथियुस 2:4)

  1. 1. आईना बनना चाहते हम याह का,

    सबको अपनाने को वो है तैयार।

    फर्क क्यों करें भला हम लोगों में,

    जब याह चाहे सभी पा लें उद्‌-धार?

    (कोरस)

    ना ही चेहरा, ना जगह,

    देखें दिल में क्या भरा,

    जब देते सबको संदेश हम याह का।

    करते परवाह उनकी हम,

    सो चाहते हैं दिल से हम,

    हर एक इंसाँ बन जाए दोस्त याह का।

  2. 2. ना देखें हम तो रं-ग-रूप उनका,

    ना ही देखें जाति, ना ही पैसा।

    अहम यही है दिल उनका कैसा,

    याह भी देखे अंदर का ही इंसाँ।

    (कोरस)

    ना ही चेहरा, ना जगह,

    देखें दिल में क्या भरा,

    जब देते सबको संदेश हम याह का।

    करते परवाह उनकी हम,

    सो चाहते हैं दिल से हम,

    हर एक इंसाँ बन जाए दोस्त याह का।

  3. 3. इस जग का जो कर देते हैं इनकार,

    करता यहोवा उनसे बेहद प्यार।

    इन बातों का हम करते हैं इज़हार

    कि सब सुन लें यहोवा की पुकार।

    (कोरस)

    ना ही चेहरा, ना जगह,

    देखें दिल में क्या भरा,

    जब देते सबको संदेश हम याह का।

    करते परवाह उनकी हम,

    सो चाहते हैं दिल से हम,

    हर एक इंसाँ बन जाए दोस्त याह का।