गीत 56
सच्चाई को अपना बनाएँ
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1. सच्-चा-ई की राह से ना बेहतर राह कोई,
तू मान तुझ से जो भी कहे याह।
पर तेरी खातिर नहीं चल सकता कोई,
तुझे ही इस राह है चलना।
(कोरस)
राह सच्-चा-ई की,
भटकें ना इस से कभी।
जब हर हाल, हर पल
चलें इस राह पे,
पाएँ हम याह से खुशी।
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2. ताकत और समय तू लगाता है जो भी
तहे-दिल से सेवा में याह की,
पाएगा इनाम तू यहोवा से जल्द ही
जो सोचा ना तूने कभी।
(कोरस)
राह सच्-चा-ई की,
भटकें ना इस से कभी।
जब हर हाल, हर पल
चलें इस राह पे,
पाएँ हम याह से खुशी।
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3. छोटे या बड़े, हम यहोवा के बच्चे,
ना होगा उसके बिन गुज़ारा।
सुनें उसकी बात, चलें हर दिन संग उसके;
वो आशीषें बरसाएगा।
(कोरस)
राह सच्-चा-ई की,
भटकें ना इस से कभी।
जब हर हाल, हर पल
चलें इस राह पे,
पाएँ हम याह से खुशी।
(भज. 26:3; नीति. 8:35; 15:31; यूह. 8:31, 32 भी देखें।)