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गीत 56

सच्चाई को अपना बनाएँ

सच्चाई को अपना बनाएँ

(नीतिवचन 3:1, 2)

  1. 1. सच्‌-चा-ई की राह से ना बेहतर राह कोई,

    तू मान तुझ से जो भी कहे याह।

    पर तेरी खातिर नहीं चल सकता कोई,

    तुझे ही इस राह है चलना।

    (कोरस)

    राह सच्‌-चा-ई की,

    भटकें ना इस से कभी।

    जब हर हाल, हर पल

    चलें इस राह पे,

    पाएँ हम याह से खुशी।

  2. 2. ताकत और समय तू लगाता है जो भी

    तहे-दिल से सेवा में याह की,

    पाएगा इनाम तू यहोवा से जल्द ही

    जो सोचा ना तूने कभी।

    (कोरस)

    राह सच्‌-चा-ई की,

    भटकें ना इस से कभी।

    जब हर हाल, हर पल

    चलें इस राह पे,

    पाएँ हम याह से खुशी।

  3. 3. छोटे या बड़े, हम यहोवा के बच्चे,

    ना होगा उसके बिन गुज़ारा।

    सुनें उसकी बात, चलें हर दिन संग उसके;

    वो आशीषें बरसाएगा।

    (कोरस)

    राह सच्‌-चा-ई की,

    भटकें ना इस से कभी।

    जब हर हाल, हर पल

    चलें इस राह पे,

    पाएँ हम याह से खुशी।