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 बाइबल क्या कहती है?

डिप्रेशन

डिप्रेशन

आखिर डिप्रेशन यानी अवसाद है क्या?

“मैं झुका और दबा हुआ हूँ। मैं सारे दिन उदास रहता हूँ।”भजन 38:6, हिंदी ईज़ी-टू-रीड वर्शन।

खोजकर्ता क्या कहते हैं

हम सब कभी-न-कभी उदास महसूस करते हैं लेकिन डिप्रेशन यानी अवसाद, उससे कहीं ज़्यादा गहरा, लंबा और दुखद होता है। एक तरह का डिप्रेशन जो बहुत ही गंभीर है, वह है क्लिनिकल डिप्रेशन। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें एक इंसान की हालत बहुत कमज़ोर होती जाती है और वह रोज़मर्रा के काम भी ठीक से नहीं कर पाता। ध्यान देनेवाली बात है कि सभी विशेषज्ञ इस बात से सहमत नहीं हैं कि “आमतौर” पर होनेवाली उदासी और डिप्रेशन की “बीमारी” की वजह क्या है। फिर भी, देखा गया है कि कुछ लोगों पर बहुत ज़्यादा निराशा की भावना हावी हो जाती है जैसे, नाकाबिल और खुद को हद-से-ज़्यादा दोषी समझने की भावना।

बाइबल क्या कहती है

बाइबल यानी परमेश्वर के वचन में ऐसे कई आदमी और औरतों का ज़िक्र मिलता है, जिन्हें निराशा की भावना से गुज़रना पड़ा था। मिसाल के लिए, हन्ना “मन में व्याकुल” महसूस कर रही थी। इस भावना की तुलना “टूटे मन” और “गहरे दुख” से की गयी है। (1 शमूएल 1:10) एक मौके पर परमेश्वर का सेवक एलिय्याह दुख से इतना घिरा हुआ था कि उसने परमेश्वर से प्रार्थना की कि वह उसकी जान ले ले!—1 राजा 19:4.

पहली सदी के मसीहियों को हिदायत दी गयी थी कि “जो मायूस हैं, उन्हें” वे “अपनी बातों से तसल्ली दें।” (1 थिस्सलुनीकियों 5:14) एक किताब के मुताबिक शब्द “मायूस हैं” उन लोगों को दर्शाता है “जो कुछ समय के लिए जीवन की चिंताओं से दब गए हैं।” इससे साफ है कि बाइबल ऐसे कई आदमी और औरतों का ज़िक्र करती है जिन्हें कभी-न-कभी निराशा की भावना से जूझना पड़ा है।

 क्या निराशा की वजह, वह व्यक्‍ति खुद है?

“सारी सृष्टि अब तक एक-साथ कराहती और दर्द से तड़पती रहती है।”रोमियों 8:22.

बाइबल क्या कहती है

बाइबल बताती है कि पहले इंसानी जोड़े आदम और हव्वा का, परमेश्वर के खिलाफ बगावत करने का नतीजा है, बीमारियाँ। मिसाल के लिए, भजन 51:5 कहता है: “देख, मैं अधर्म के साथ उत्पन्न हुआ, और पाप के साथ अपनी माता के गर्भ में पड़ा।” रोमियों 5:12 कहता है “एक आदमी [पहला इंसान, आदम] से पाप दुनिया में आया और पाप से मौत आयी, और इस तरह मौत सब इंसानों में फैल गयी क्योंकि सबने पाप किया।” हम सबको आदम से विरासत में पाप मिला है इसलिए हम सब बीमार होते हैं, शरीर से भी और जज़बातों से भी। इनका नतीजा है कि “सारी सृष्टि अब तक एक-साथ कराहती और दर्द से तड़पती रहती है।” (रोमियों 8:22) लेकिन बाइबल हमें एक ऐसी आशा देती है जो कोई भी डॉक्टर नहीं दे सकता। एक खुशहाल नयी दुनिया में रहना जहाँ, हर तरह की बीमारी यहाँ तक कि डिप्रेशन का भी नामों-निशान नहीं रहेगा।—प्रकाशितवाक्य 21:4.

आप निराशा से कैसे बाहर निकल सकते हैं?

“यहोवा टूटे मनवालों के समीप रहता है, और पिसे हुओं का उद्धार करता है।”भजन 34:18.

यह क्यों मायने रखता है

हालात हमेशा आपके वश में नहीं होते, बुरी घटनाएँ कभी भी घट सकती हैं। (सभोपदेशक 9:11, 12) मगर आप कुछ कारगर कदम उठा सकते हैं, जिससे निराशा की भावना आप पर हावी न हो।

बाइबल क्या कहती है

बाइबल कबूल करती है कि बीमारों को डॉक्टर की ज़रूरत होती है। (लूका 5:31) इसलिए अगर आप किसी ऐसी बीमारी से जूझ रहे हैं, जो आपको अंदर से कमज़ोर कर रही है तो डॉक्टर की मदद लीजिए। प्रार्थना में जो ताकत है उसे कम मत आँकिए। भजन 55:22 कहता है: “अपना बोझ यहोवा पर डाल दे वह तुझे सम्भालेगा; वह धर्मी को कभी टलने न देगा।” प्रार्थना सिर्फ अच्छा महसूस करने के लिए नहीं की जाती, बल्कि यह दिल से यहोवा परमेश्वर के साथ की जानेवाली एक बातचीत है, जो “टूटे मनवालों के समीप रहता है।”—भजन 34:18.

किसी करीबी दोस्त से खुलकर अपने मन की बात बताने से आपको फायदा होगा। (नीतिवचन 17:17) यहोवा की एक साक्षी, डैन्यला कहती है, “एक साक्षी ने मुझे बड़े प्यार से अपने डिप्रेशन के बारे में बात करने के लिए उकसाया। कई सालों तक मैं अपने डिप्रेशन के बारे में किसी से भी बात करने से कतराती थी। लेकिन उससे बात करने के बाद मुझे एहसास हुआ कि इस बीमारी से बाहर निकलने के लिए ऐसा करना ज़रूरी था। बात करने के बाद मेरा दिल बिलकुल हल्का हो गया, यह देखकर मैं हैरान रह गयी।” ▪ (g13-E 10)