इस जानकारी को छोड़ दें

स्वर्गदूत कौन हैं और वे कैसे होते हैं

स्वर्गदूत कौन हैं और वे कैसे होते हैं

शास्त्र से जवाब

 स्वर्गदूत अदृश्‍य प्राणी हैं जो इंसानों से कहीं ज़्यादा शक्‍तिशाली और काबिल हैं। (2 पतरस 2:11) ये स्वर्ग में रहते हैं जो कि हमारी दुनिया से बिलकुल अलग है। इसे हम इंसान अपनी आँखों से नहीं देख सकते। (1 राजा 8:27; यूहन्‍ना 6:38) इसलिए इन प्राणियों को स्वर्गदूत कहा जाता है।—1 राजा 22:21; भजन 18:10.

स्वर्गदूतों की शुरूआत कैसे हुई?

 बाइबल में यीशु को “सारी सृष्टि में पहलौठा” कहा गया है। उसी के ज़रिए परमेश्‍वर ने स्वर्गदूतों की सृष्टि की। बाइबल बताती है, “[यीशु] के ज़रिए स्वर्ग में और धरती पर बाकी सब चीज़ें सिरजी गयीं, जो दिखायी देती हैं और जो दिखायी नहीं देतीं।” दिखायी न देनेवाली सृष्टि में स्वर्गदूत भी शामिल हैं। (कुलुस्सियों 1:13-17) स्वर्गदूत शादी नहीं करते और न ही उन्हें बच्चे पैदा करने की काबिलीयत के साथ बनाया गया है। (मरकुस 12:25) इसके बजाय, सच्चे परमेश्‍वर के हरेक “बेटे” की सृष्टि की गयी है।—अय्यूब 1:6.

 स्वर्गदूतों की सृष्टि पृथ्वी के बनाए जाने से बहुत पहले की गयी थी। इसलिए जब परमेश्‍वर ने धरती की नींव डाली तो स्वर्गदूतों ने “जयजयकार की।”—अय्यूब 38:4-7.

स्वर्गदूतों की गिनती कितनी है?

 बाइबल नहीं बताती कि उनकी गिनती ठीक कितनी है मगर यह इतना ज़रूर बताती है कि उनकी गिनती बहुत है। मिसाल के लिए, प्रेषित यूहन्‍ना को एक दर्शन दिया गया था जिसमें उसने लाखों-करोड़ों स्वर्गदूतों को देखा।—प्रकाशितवाक्य 5:11.

क्या स्वर्गदूतों का अपना एक नाम और एक अलग शख्सियत है?

 जी हाँ। बाइबल दो स्वर्गदूतों के नाम बताती है, एक है मीकाएल और दूसरा है जिब्राईल। (दानियेल 12:1; लूका 1:26) a दूसरे स्वर्गदूतों ने यह स्वीकार किया कि उनका एक नाम है पर उन्होंने अपना नाम नहीं बताया।—उत्पत्ति 32:29; न्यायियों 13:17, 18.

 हर स्वर्गदूत की अपनी एक अलग शख्सियत है। उनकी अपनी भाषा भी है जिसमें वे आपस में बातचीत करते हैं। (1 कुरिंथियों 13:1) उनमें सोचने-परखने की शक्‍ति है और वे परमेश्‍वर की महिमा के लिए गीत बनाकर उसे गाते हैं। (लूका 2:13, 14) उनके पास यह चुनने की आज़ादी है कि वे सही काम करेंगे या गलत। यह हमें कैसे पता? क्योंकि जब शैतान ने परमेश्‍वर से बगावत की तो कुछ स्वर्गदूतों ने शैतान का साथ देकर पाप किया और उसकी तरफ हो गए।—मत्ती 25:41; 2 पतरस 2:4.

क्या स्वर्गदूतों का अलग-अलग ओहदा है?

 जी हाँ। प्रधान स्वर्गदूत मीकाएल दूसरे स्वर्गदूतों के मुकाबले सबसे ज़्यादा शक्‍तिशाली है और उसके पास सबसे ज़्यादा अधिकार है। (यहूदा 9; प्रकाशितवाक्य 12:7) साराप ऊँचा ओहदा रखनेवाले स्वर्गदूत हैं जो यहोवा की राजगद्दी के पास खड़े रहते हैं। (यशायाह 6:2, 6) करूब भी ऊँचा ओहदा रखनेवाले स्वर्गदूत हैं जिन्हें खास ज़िम्मेदारियाँ दी जाती हैं। मिसाल के लिए, जब आदम और हव्वा को अदन के बाग से खदेड़ दिया गया, तब बाग की तरफ जानेवाले रास्ते पर करूबों को पहरा देने के लिए तैनात किया गया था।—उत्पत्ति 3:23, 24.

क्या स्वर्गदूत लोगों की मदद करते हैं?

 जी हाँ। परमेश्‍वर वफादार स्वर्गदूतों के ज़रिए आज अपने लोगों की मदद करता है।

  •   परमेश्‍वर स्वर्गदूतों के ज़रिए अपने सेवकों को राह दिखाता है ताकि वे परमेश्‍वर के राज की खुशखबरी सुना सकें। (प्रकाशितवाक्य 14:6, 7) इस मदद से प्रचार करनेवाले उसके सेवक और खुशखबरी सुननेवाले, दोनों को फायदा होता है।—प्रेषितों 8:26, 27.

  •   स्वर्गदूतों के ज़रिए मसीही मंडली को दुष्ट लोगों के बुरे असर से दूर रखा जाता है।—मत्ती 13:49.

  •   स्वर्गदूत, परमेश्‍वर के वफादार लोगों का मार्गदर्शन करते हैं और उनकी हिफाज़त करते हैं।—भजन 34:7; 91:10, 11; इब्रानियों 1:7, 14.

  •   बहुत जल्द स्वर्गदूत, यीशु मसीह के साथ मिलकर सारी बुराइयों को मिटा देंगे और इंसानों को राहत पहुँचाएँगे।—2 थिस्सलुनीकियों 1:6-8.

क्या हममें से हरेक के लिए एक खास स्वर्गदूत ठहराया गया है?

 यह सच है कि स्वर्गदूत परमेश्‍वर के सेवकों की मदद करते हैं कि वे परमेश्‍वर के साथ अपना रिश्‍ता बनाए रखें। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि परमेश्‍वर अपने हर सेवक के लिए एक खास स्वर्गदूत ठहराता है। b (मत्ती 18:10) स्वर्गदूत परमेश्‍वर के सेवकों को हर आज़माइश या परीक्षा से नहीं बचाते। लेकिन बाइबल बताती है कि परमेश्‍वर अपने सेवकों को उस परीक्षा का सामना करने की बुद्धि देता है और धीरज धरने में मदद करता है। इस तरह वह उनके लिए परीक्षा से ‘निकलने का रास्ता निकालता है।’—1 कुरिंथियों 10:12, 13; याकूब 1:2-5.

स्वर्गदूतों के बारे में गलतफहमियाँ

 गलतफहमी: सभी स्वर्गदूत अच्छे हैं।

 सच्चाई: बाइबल “शक्‍तिशाली दुष्ट दूतों” का ज़िक्र करती है और उन “स्वर्गदूतों” के बारे में बताती है “जिन्होंने पाप किया था।” (इफिसियों 6:12; 2 पतरस 2:4) ये दुष्ट स्वर्गदूत, शैतान के साथ मिल गए और परमेश्‍वर के खिलाफ हो गए।

 गलतफहमी: स्वर्गदूतों के पास अमर जीवन है।

 सच्चाई: सभी दुष्ट स्वर्गदूतों का नाश कर दिया जाएगा जिनमें शैतान भी एक है।—यहूदा 6.

 गलतफहमी: जब लोग मरते हैं तो वे स्वर्गदूत बन जाते हैं।

 सच्चाई: जब लोग मरते हैं, तो वे स्वर्गदूत नहीं बनते। स्वर्गदूतों को तो परमेश्‍वर ने अलग से रचा है। (कुलुस्सियों 1:16) जिन लोगों को स्वर्ग में ज़िंदा किया जाता है उन्हें परमेश्‍वर तोहफे में अमर जीवन देता है। (1 कुरिंथियों 15:53, 54) उनका ओहदा स्वर्गदूतों से कहीं ऊँचा होता है।—1 कुरिंथियों 6:3.

 गलतफहमी: स्वर्गदूत इंसानों की सेवा के लिए होते हैं।

 सच्चाई: स्वर्गदूत परमेश्‍वर की आज्ञा मानते हैं, न कि हम इंसानों की। (भजन 103:20, 21) यहाँ तक कि यीशु ने भी कहा कि वह मदद के लिए परमेश्‍वर से बिनती करेगा, स्वर्गदूतों से नहीं।—मत्ती 26:53.

 गलतफहमी: हम स्वर्गदूतों से मदद के लिए प्रार्थना कर सकते हैं।

 सच्चाई: प्रार्थना करना, उपासना करने का एक तरीका है और हमारी उपासना का हकदार सिर्फ यहोवा परमेश्‍वर है। (प्रकाशितवाक्य 19:10) इसलिए हमें सिर्फ यहोवा से प्रार्थना करनी चाहिए और वह भी यीशु के ज़रिए।—यूहन्‍ना 14:6.

a बाइबल के कुछ अनुवादों में यशायाह 14:12 में शब्द “लूसीफर” इस्तेमाल किया गया है। कुछ लोगों का मानना है कि लूसीफर, उस स्वर्गदूत का नाम है जो शैतान बन गया था। लेकिन इसके मूल इब्रानी शब्द का मतलब है, “चमकता तारा।” इस आयत के आस-पास की आयतों से पता चलता है कि यह शब्द शैतान के लिए नहीं बल्कि बैबिलोन साम्राज्य के राजाओं के लिए इस्तेमाल हुआ है जिन्हें परमेश्‍वर उनके घमंड के लिए नीचा दिखा रहा था। (यशायाह 14:4, 13-20) बैबिलोन की हार के बाद उसका मज़ाक उड़ाने के लिए ही उसे ‘चमकता तारा’ कहा गया है।

b एक बार एक स्वर्गदूत ने पतरस को जेल से रिहा करवाया था। इस ब्यौरे को पढ़कर कुछ लोग सोचते हैं कि पतरस के लिए एक खास स्वर्गदूत ठहराया गया था। (प्रेषितों 12:6-16) लेकिन जब चेलों ने कहा कि दरवाज़े पर “[पतरस का] स्वर्गदूत” होगा तो वे इस गलतफहमी में थे कि पतरस की तरफ से कोई स्वर्गदूत संदेश लेकर आया होगा। मगर असल में पतरस खुद दरवाज़े पर खड़ा था।