गीत 40
हम किसके हैं?
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1. सेवक किसका है तू?
ईश्वर तू किसे माने?
तू जान ले वही ईश्वर तेरा,
जिसकी सुनके तू है चलता।
कर सकता ना कभी
दो ईश्वरों की सेवा;
आखिर में उसे चुन लेगा जिसे
दिल तूने दिया अपना।
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2. सेवक किसका है तू?
ईश्वर तू किसे माने?
एक ईश्वर है सच्चा, एक झूठा,
चुन जिस को भी, तुझ पे छोड़ा।
क्या जग के शाहों से
करेगा वफादारी?
या मानके हुकुम यहोवा का तू
करेगा सेवा उसकी?
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3. सेवक मैं हूँ किसका?
मैं तो हूँ यहोवा का।
वादे जो किए याह से मैंने,
निभाऊँगा, ठाना है ये।
कीमत भारी देके,
खरीदा मुझे याह ने।
जीऊँगा मैं हर पल याह के लिए,
गुण गाऊँ मैं उसी के।
(यहो. 24:15; भज. 116:14, 18; 2 तीमु. 2:19 भी देखें।)