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गीत 117

भलाई करें

भलाई करें

(2 इतिहास 6:41)

  1. 1. तू भलाई है करता याह,

    तेरे लाखों हैं उपकार।

    तेरी नेकी के ही कारण,

    पाते आशीषें हज़ार।

    दिल दुखाते कितना तेरा,

    फिर भी करता तू कृपा।

    भक्‌-ति तेरी ही करेंगे

    जीवन-भर खुशी से याह।

  2. 2. जब भलाई से चलें हम

    तेरे लोग कहला सकें।

    दिखे हम में तेरी खूबी

    जब खुशखबरी सब को दें।

    हर कहीं मन अपना भागे,

    नेकी पे ये ना टिके;

    याह, पवित्र शक्‌-ति दे तू​,

    भटके ना ये नेकी से।

  3. 3. याह, हम माँगें तेरी आशीष,

    कर सकें कृपा सब पे;

    पर कृपा हम करें पहले

    अपने भा-ई-बह-नों पे।

    प-रि-वार में, मं-ड-ली में,

    आस-पड़ोस, हाँ, हर जगह;

    काम भलाई के करें हम

    तेरी शक्‌-ति से ही याह!