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गीत 106

प्यार बढ़ाएँ

प्यार बढ़ाएँ

(1 कुरिंथियों 13:1-8)

  1. 1. हमारी ख्वाहिश है ये सदा,

    झलकाएँ हम तेरे गुण, हे याह!

    है प्यार की खूबी सबसे अहम,

    करें हम ज़ाहिर इसको हरदम।

    गर प्यार पहले जैसा ना रहा,

    हुनर या बुद्‌-धि का फायदा क्या?

    हे याह, करते हम तुझसे दुआ,

    रहे प्यार हममें नेक और सच्चा।

  2. 2. इस प्यार की नींव है कृपा और त्याग,

    ना है खुदगर्ज़, ये सोचे सबका।

    बीती बातों पे उड़ाता धूल,

    दूजे की गल-ति-याँ जाता भूल।

    ये माफ करता है राज़ी-खुशी,

    इसमें दुख सहने की है शक्‌-ति।

    हर इम्‌-ति-हाँ में जीते ये ही,

    ये प्यार ना होगा खतम कभी।