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परिवार के लिए मदद | शादी का बंधन

ठेस पहुँचानेवाली बातचीत करने से कैसे दूर रहें

ठेस पहुँचानेवाली बातचीत करने से कैसे दूर रहें

चुनौती

जब किसी बात पर पति-पत्नी का झगड़ा शुरू होता है, तब वे बातचीत से एक-दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं। रोज़मर्रा ज़िंदगी में ठेस पहुँचानेवाली बातचीत का इस्तेमाल करते-करते अब उन्हें बात करने का यही तरीका सही लगने लगा है।

अगर आपकी शादी-शुदा ज़िंदगी में भी ऐसा ही है तो यकीन मानिए, आप दोनों अपनी बातचीत का लहज़ा सुधार सकते हैं। सबसे पहले गौर कीजिए कि किन वजहों से आप दोनों के बीच ठेस पहुँचानेवाली बातचीत शुरू होती है और इसमें बदलाव लाने से आपको क्या फायदा होगा।

ऐसा क्यों होता है

परिवार के माहौल का असर जिसमें वे पले-बढ़े। कई लोगों की परवरिश ऐसे परिवार में हुई, जहाँ ठेस पहुँचानेवाली बातों का इस्तेमाल करना आम बात थी। शायद दोनों या उनमें से एक, ऐसे लहज़े में बात करता हो जैसा उन्होंने बचपन में अपने माता-पिता को बात करते देखा है।

मनोरंजन का असर। फिल्मों और टीवी कार्यक्रमों में बदतमीज़ी से बात करने को हँसी-मज़ाक समझा जाता है। ऐसे कार्यक्रम देखनेवालों को लगता है कि बदतमीज़ी से बात करने में कोई हर्ज़ नहीं और ऐसा करने में उन्हें बहुत मज़ा आता है।

संस्कृति। कुछ जगहों पर लोगों का मानना है कि “असली मर्द” को रौब दिखाना आना चाहिए। और औरतों को कमज़ोर न समझा जाए इसलिए उनका झगड़ालू होना ज़रूरी है। ऐसे में जब पति-पत्नी झगड़ते हैं तो एक-दूसरे को दोस्त न समझकर दुश्‍मन समझते हैं और बातों से एक-दूसरे की मदद करने के बजाए चोट पहुँचाने लगते हैं।

वजह चाहे जो भी हो, ठेस पहुँचानेवाली बातें करना अगर पति-पत्नी की आदत बन जाए, तो इसका असर उनकी सेहत के साथ-साथ उनके रिश्‍ते पर भी पड़ता है। यहाँ तक कि आगे चलकर उनका रिश्‍ता भी टूट सकता है। कुछ लोग तो यह भी कहते हैं कि बातों की मार भूलना, हाथों की मार भूलने से ज़्यादा मुश्‍किल है। मिसाल के लिए, एक औरत जिसका पति उसके साथ मार-पीट और गाली-गलौज करता था उसका कहना है: “मार-पीट सहने से कहीं ज़्यादा मुश्‍किल था ताने सहना।”

अगर ठेस पहुँचानेवाली बातों की वजह से आपका रिश्‍ता कमज़ोर पड़ गया है तो आप क्या कर सकते हैं?

आप क्या कर सकते हैं

हमदर्दी दिखाइए। अपने जीवन-साथी की भावनाएँ समझने की कोशिश कीजिए। सोचिए, अगर आप उसकी जगह होते तो इन बातों का आप पर क्या असर होता। हो सके तो उस पल को याद करने की कोशिश कीजिए जब आपकी बातों से आपके साथी को ठेस पहुँची। इस बात पर ध्यान देने के बजाए कि आपने क्या कहा था, इस बात पर ध्यान दीजिए कि उस समय आपके साथी को कैसा महसूस हुआ होगा। सोचिए कि आप वह बात प्यार और करुणा से कैसे कह सकते थे? बाइबल कहती है: “कोमल उत्तर सुनने से जलजलाहट ठण्डी होती है, परन्तु कटुवचन से क्रोध धधक उठता है।”नीतिवचन 15:1.

एक-दूसरे का आदर करनेवाले जोड़ों पर ध्यान दीजिए। अगर आप पर किसी के बातचीत करने के तरीके का बुरा असर रहा है, तो अच्छी मिसालों पर ध्यान देने की कोशिश कीजिए। गौर कीजिए कि ऐसे जोड़े एक-दूसरे से कैसे आदर से बात करते है।—बाइबल सिद्धांत: फिलिप्पियों 3:17.

एक-दूसरे के लिए पहले जैसी भावना फिर से जगाइए। अकसर हमारी सोच से ही ठेस पहुँचानेवाली बातों की शुरूआत होती है। इसलिए अपने साथी की अच्छाइयों पर ध्यान देने की कोशिश कीजिए और उसके लिए अपना प्यार बढ़ाइए। पुरानी यादें ताज़ा कीजिए कि आप और आपका साथी, साथ मिलकर क्या-क्या करते थे। पुरानी तसवीरें देखिए। ऐसी कौन-सी बातें थी जिन पर आपको हँसी आ जाती थी? एक-दूसरे में ऐसे कौन-से गुण थे जो आप दोनों को पसंद आ गए थे?—बाइबल सिद्धांत: लूका 6:45.

अपनी राय पेश कीजिए। अपने साथी पर इलज़ाम लगाने या ताने मारने के बजाए, आप कैसा महसूस करते हैं इस बारे में बताइए। मिसाल के लिए, यह कहने के बजाए कि “आप हमेशा ही मुझे बताए बिना फैसला ले लेते हैं,” यह कहिए कि “जब आप मुझे बताए बिना फैसला लेते हैं तो मुझे ऐसा महसूस होता है कि आपको मेरी भावनाओं की कोई कदर नहीं।” अगर आप ऐसा करेंगे तो आपको इसके अच्छे नतीजे मिलेंगे।—बाइबल सिद्धांत: कुलुस्सियों 4:6.

बातचीत खत्म करने का समय पहचानिए। अगर एक-दूसरे पर गुस्सा भड़क रहा हो और ज़बान पर काबू रखना मुश्‍किल हो जाए, तो अच्छा होगा कि उस समय बात को वहीं रोक दिया जाए। और जब आप दोनों शांत हो जाएँ, तो ठंडे दिमाग से उस विषय पर बातचीत कीजिए।—बाइबल सिद्धांत: नीतिवचन 17:14. ◼ (g13-E 04)

अकसर हमारी सोच से ही ठेस पहुँचानेवाली बातों की शुरूआत होती है