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क्या मुझे वीडियो गेम खेलने चाहिए?

क्या मुझे वीडियो गेम खेलने चाहिए?

युवा लोग पूछते हैं

क्या मुझे वीडियो गेम खेलने चाहिए?

वीडियो गेम आधुनिक टेकनॉलजी से बना नए ज़माने का केवल मनोरंजन ही नहीं है। ये गेम न सिर्फ आपके कौशल को परखते और आपकी बोरियत को दूर करते हैं, बल्कि ये फुर्ती से काम करने की आपकी काबिलीयत को भी निखारते हैं। अध्ययन दिखाते हैं कि इन गेमों से ध्यान से देखने की आपकी काबिलीयत में भी सुधार आता है। कुछ गेम तो ऐसे भी हैं, जिन्हें खेलने से आप गणित में पक्के हो सकते हैं और फर्राटे से पढ़ना सीख सकते हैं। इसके अलावा, आजकल स्कूल में बच्चे बस इसी के बारे में गप्पे लड़ाते दिखायी देते हैं कि बाज़ार में कौन-सा नया गेम आया है। और अगर आपने उनमें से कोई गेम खेला है, तो बेशक आपको भी इस बारे में दो-चार बातें कहने का मौका मिल जाता है।

मगर हाँ, आप वीडियो गेम खेल सकते हैं या नहीं, इसका फैसला करने का हक आपके माता-पिता को है। (कुलुस्सियों 3:20) और अगर वे आपको इसकी इजाज़त देते हैं, तो आपको ऐसे गेम चुनने चाहिए, जो मज़ेदार भी हों और नैतिक मूल्यों के मुताबिक सही भी। लेकिन आपको खासकर इस मामले में होशियार रहने की ज़रूरत है। वह क्यों?

खतरे!

16 साल का ब्रायन कहता है: “कंप्यूटर गेम खेलने में बड़ा मज़ा आता है और ये नए ज़माने का शौक भी बन गया है।” मगर जैसा कि आप पहले से जानते होंगे, सभी गेम अच्छे नहीं होते। ब्रायन खुद कबूल करता है: “इन गेमों में आप कुछ ऐसे काम कर सकते हैं, जो आप असल ज़िंदगी में करने की कभी सोच भी नहीं सकते। क्योंकि उन कामों से आप बड़ी मुसीबत में फँस सकते हैं।” वीडियो गेमों में किस तरह के कामों का बढ़ावा दिया जाता है?

बहुत-से गेम खुल्लम-खुल्ला अनैतिक काम करने, गाली-गलौज करने और मार-धाड़ करने का बढ़ावा देते हैं। ये सब ऐसे काम हैं, जिनकी बाइबल निंदा करती है। (भजन 11:5; गलतियों 5:19-21; कुलुस्सियों 3:8) कुछ गेमों में तो यह दिखाया जाता है कि भूतविद्या में कोई बुराई नहीं है। 18 साल का एड्रियन, एक मशहूर गेम के बारे में कहता है कि उसमें “गैंगों के बीच मार-पीट, ड्रग्स का इस्तेमाल, खुल्लम-खुल्ला किए जानेवाले अश्‍लील काम, गाली-गलौज, खून-खराबा और मार-काट,” यह सब दिखाया जाता है। यही नहीं, हर बार जब कोई नया गेम निकलता है, तो वह पिछले गेम से भी एक कदम आगे होता है। 19 साल का जेम्स कहता है कि इन गेमों में से जो गेम सबसे ज़्यादा खेले जाते हैं, वे इंटरनेट पर पाए जाते हैं। इस तरह के गेम से वीडियो गेम खेलने का एक नया दायरा खुल गया है। जेम्स कहता है: “आप अपने घर के कंप्यूटर से, दुनिया के दूसरे कोने में रहनेवाले लोगों को चुनौती दे सकते हैं।”

लेकिन आजकल के जवानों का सबसे पसंदीदा खेल है, काल्पनिक किरदारवाले गेम। इन गेमों में खिलाड़ी खुद के किरदार बना सकते हैं, जैसे कोई इंसान, जानवर या दोनों को मिलाकर बनाया गया कोई और किरदार। इन किरदारों को “अवतार” कहा जाता है। इस तरह के वीडियो गेम की दुनिया में, हज़ारों दूसरे खिलाड़ियों के ज़रिए बनाए गए अवतार भी मौजूद होते हैं। इसमें दुकानें, गाड़ियाँ, घर, नाइट क्लब, यहाँ तक कि वेश्‍या बाज़ार भी होते हैं। या यूँ कहिए कि वीडियो गेम की दुनिया हू-ब-हू असली दुनिया से मिलती-जुलती है। इन गेमों के अवतार एक-दूसरे से कैसे बात करते हैं? दरअसल खिलाड़ी झटपट एक-दूसरे को संदेश भेजते हैं, जिनसे ऐसा लगता है मानो अवतार एक-दूसरे से बात कर रहे हैं।

खयालों की इस दुनिया में क्या होता है? एक पत्रकार कहता है: “आम लोग ऐसे-ऐसे काम करते हैं, जो वे हकीकत में कभी नहीं करते या नहीं कर सकते।” वह आगे कहता है: “सेक्स और वेश्‍यावृत्ति, दोनों ही बहुत आम हैं।” कंप्यूटर के सिर्फ दो-चार बटन दबाकर, खिलाड़ी अपने अवतार से लैंगिक काम करवा सकते हैं। और इस दौरान खिलाड़ी फौरन संदेश भेजने का ज़रिया इस्तेमाल करके आपस में सेक्स के बारे में बात भी कर सकते हैं। यही नहीं, न्यू साइंटिस्ट पत्रिका कहती है कि खयालों की इस दुनिया में “हर तरह के जुर्म दिखाए जाते हैं। साथ ही, सभी किस्म के अपराधियों की भरमार होती है, जैसे अंडरवर्ल्ड के गुंडे, वेश्‍याओं की दलाली करनेवाले, पैसे ऐंठनेवाले, चार-सौ-बीसी करनेवाले और खूनी।” एक और पत्रिका में यह रिपोर्ट छपी थी कि “वीडियो गेम के खिलाफ आवाज़ उठानेवालों ने गेम में दिखाए जानेवाले उन कामों के बारे में अपनी चिंता ज़ाहिर की है, जिन्हें हकीकत की दुनिया में गुनाह माना जाता है। मिसाल के लिए, एक खिलाड़ी का अवतार एक वेश्‍या का बलात्कार करता है या बच्चों के साथ लैंगिक संबंध रखता है।”

आपके चुनाव से फर्क पड़ता है

जो लोग ऐसे गेम खेलते हैं, जिनमें सेक्स और हिंसा को बढ़-चढ़कर दिखाया जाता है, वे शायद कहें: “भला इनसे किसको नुकसान पहुँच सकता है? ये असली थोड़े ही न हैं, ये तो सिर्फ एक खेल है।” लेकिन खबरदार, ऐसी बातों में मत आइए!

बाइबल कहती है: “लड़का भी अपने कामों से पहिचाना जाता है, कि उसका काम पवित्र और सीधा है, [या] नहीं।” (नीतिवचन 20:11) अगर आप हिंसा और अनैतिकता को बढ़ावा देनेवाले गेम खेलने की आदत बना लें, तो क्या आपको पवित्र और सीधा कहलाया जा सकता है? इस क्षेत्र में किए गए अध्ययनों से बार-बार यही साबित हुआ है कि जो लोग हिंसा को बढ़ावा देनेवाले मनोरंजन का मज़ा लेते हैं, वे धीरे-धीरे गुस्सैल बनते जाते हैं। हाल ही में न्यू साइंटिस्ट पत्रिका ने कहा: “लोगों पर टी.वी. से ज़्यादा वीडियो गेमों का गहरा असर होता है। वह इसलिए क्योंकि टी.वी. में दिखाए जानेवाले कार्यक्रमों को लोग बस देखते हैं, मगर वीडियो गेम में वे खुद हिस्सा लेते हैं।”

हिंसा या अनैतिकता को बढ़ावा देनेवाले गेम खेलना, रेडियोएक्टिव कचरे से खेलने के बराबर है जो परमाणु हथियार बनाने पर निकलता। रेडियोएक्टिव कचरे से जो भारी नुकसान होते हैं, हालाँकि वे फौरन नज़र नहीं आते, मगर उनसे बचना नामुमकिन है। कैसे नुकसान? रेडियोएक्टिव कचरे से बड़ी मात्रा में रेडिएशन निकलता है, जिससे एक इंसान के पेट के अंदर का हिस्सा नष्ट हो सकता है और इससे उसकी अंतड़ियों में पाए जानेवाले जीवाणु (बैक्टीरिया) खून की नलियों पर हमला कर सकते हैं। नतीजा, वह इंसान बीमार पड़ सकता है। उसी तरह, अगर आप बढ़-चढ़कर दिखाए जानेवाले सेक्स और हिंसा के काम देखेंगे, तो इससे आपका “नैतिक बोध,” यानी अच्छे-बुरे की आपकी समझ नष्ट हो सकती है। साथ ही, पापी इच्छाएँ आप पर इस कदर हावी हो सकती हैं कि आप न सिर्फ उनके बारे में सोचने लग सकते हैं, बल्कि वैसे ही काम भी करने लग सकते हैं।—इफिसियों 4:19, बुल्के बाइबिल; गलतियों 6:7,8.

मुझे कौन-सा गेम चुनना चाहिए?

अगर आपके माता-पिता आपको वीडियो गेम खेलने की इजाज़त देते हैं, तो आप कैसे पता लगा सकते हैं कि कौन-सा गेम आपके लिए अच्छा होगा और उसमें आपको कितना वक्‍त बिताना चाहिए? इसके लिए खुद से आगे दिए सवाल पूछिए:

क्या मेरे चुनाव से यहोवा नाराज़ होगा? आप जो भी वीडियो गेम चुनते हैं, उससे या तो परमेश्‍वर आपसे खुश हो सकता है या नाराज़। भजन 11:5 (ईज़ी-टू-रीड वर्शन) कहता है: “यहोवा भले व बुरे लोगों को परखता है, और वह उन लोगों से घृणा करता है, जो हिंसा से प्रीति रखते हैं।” और जो लोग भूतविद्या में शरीक होते हैं, उनके बारे में परमेश्‍वर का वचन कहता है: “जितने ऐसे ऐसे काम करते हैं वे सब यहोवा के सम्मुख घृणित हैं।” (व्यवस्थाविवरण 18:10-12) इसलिए अगर हम परमेश्‍वर के दोस्त बनना चाहते हैं, तो हमें भजन 97:10 में दी सलाह को मानने की ज़रूरत है: “हे यहोवा के प्रेमियों, बुराई से घृणा करो।”

इस गेम का मेरी सोच पर क्या असर होगा? खुद से पूछिए: ‘यह गेम खेलने से क्या मेरे लिए “व्यभिचार से बचे रहना” आसान होगा या मुश्‍किल?’ (1 कुरिन्थियों 6:18) जिन गेमों में ऐसे सीन दिखाए जाते हैं या ऐसी बातचीत होती है, जिनसे आपमें गलत लैंगिक इच्छाएँ पैदा हो सकती हैं, उन गेमों को खेलने से आप अपना मन आदरनीय, उचित और सुहावनी बातों पर नहीं लगा पाएँगे। (फिलिप्पियों 4:8) 22 साल की एमी कहती है: “बहुत-से गेम ऐसे हैं, जिन्हें खेलने से एक इंसान का ज़मीर सुन्‍न हो जाता है। नतीजा, हिंसा, अनैतिकता और गंदी भाषा का उस पर कोई असर नहीं पड़ता। इतना ही नहीं, उसे धीरे-धीरे ज़िंदगी के अलग-अलग दायरों में गलत कामों के लिए लुभाया जा सकता है। इसलिए गेम चुनते वक्‍त आपको बहुत ही सावधान रहने की ज़रूरत है।”

गेम खेलने में मैं कितना वक्‍त बिताऊँगा? 18 साल की डेब्रा कहती है: “मुझे नहीं लगता कि सभी कंप्यूटर गेम खराब हैं। मगर हाँ, इसमें काफी वक्‍त ज़ाया होता है। यहाँ तक कि खिलाड़ियों को इसकी लत भी लग सकती है।” जी हाँ, मामूली-से-मामूली गेम भी एक इंसान का बहुत सारा वक्‍त बरबाद कर सकता है। इसलिए आप गेम खेलने में कितना वक्‍त बिताते हैं, इसका रिकॉर्ड रखिए और फिर इसकी तुलना उस वक्‍त से कीजिए जो आप दूसरे ज़रूरी कामों में बिताते हैं। इससे आप अहम बातों को अपनी ज़िंदगी में पहली जगह दे पाएँगे।—इफिसियों 5:15,16.

बाइबल यह माँग नहीं करती कि आप अपनी पूरी ज़िंदगी पढ़ने या काम करने में लगा दें। इसके बजाय, यह हम सभी को याद दिलाती है कि ‘हंसने का एक समय होता है और कूदने-फाँदने का भी एक समय होता है।’ (सभोपदेशक 3:4, NW) गौरतलब बात है कि यहाँ ‘कूदने-फाँदने’ का मतलब सिर्फ कोई खेल खेलना नहीं है, बल्कि इसमें ऐसे खेल खेलना भी शामिल है जिससे आपके शरीर की कसरत होती है। इसलिए क्यों न आप अपने खाली समय में कुछ खेल-कूद करें, बजाय इसके कि सिर्फ कंप्यूटर से चिपके रहें?

सोच-समझकर चुनाव कीजिए

बेशक, वीडियो गेम खेलना मज़ेदार हो सकता है, खासकर अगर आप इसमें माहिर हैं। और यही सबसे बड़ी वजह है कि क्यों आपको सोच-समझकर गेम का चुनाव करना चाहिए। खुद से पूछिए, ‘स्कूल में मैं किस विषय में अच्छे नंबर लाता हूँ?’ क्या यह सच नहीं कि आप उसी विषय में अच्छे नंबर लाते हैं, जो आपको बहुत पसंद है? अकसर देखा गया है कि जो विषय आपको पसंद होता है, वही विषय आपके ज़हन में अच्छी तरह से उतर जाता है। अब अपने आपसे पूछिए: ‘मुझे कौन-सा वीडियो गेम खेलना सबसे ज़्यादा पसंद है? यह गेम मुझे कौन-सा सबक सिखा रहा है?’

गेमों का सोच-समझकर चुनाव करने के लिए, क्यों न सबसे पहले आप हरेक गेम के बारे में, जिसे आप खेलना चाहते हैं, चंद बातें लिखें? जैसे, गेम का लक्ष्य क्या है और उस लक्ष्य को हासिल करने के लिए गेम में क्या-क्या तरकीबें दी गयी हैं। इसके बाद, उन बातों की तुलना इस लेख में दिए बाइबल सिद्धांतों के साथ कीजिए और फिर तय कीजिए कि वह गेम खेलना आपके लिए सही होगा या नहीं।

अपने साथियों की देखा-देखी गेम का चुनाव मत कीजिए। इसके बजाय, इस बात का अटल इरादा कीजिए कि आप अपना फैसला खुद, सोच-समझकर करेंगे। सबसे बढ़कर, बाइबल की यह सलाह लागू कीजिए: ‘परखते रहो कि प्रभु को क्या भाता है।’—इफिसियों 5:10. (g 1/08)

“युवा लोग पूछते हैं . . .” के और भी लेख, वेब साइट www.watchtower.org/ype पर उपलब्ध हैं

इस बारे में सोचिए

◼ अगर आपका कोई दोस्त आपको हिंसा या अनैतिकता को बढ़ावा देनेवाले वीडियो गेम खेलने के लिए बुलाता है, तो आप उससे क्या कहेंगे?

◼ आप इस बात का ध्यान कैसे रख सकते हैं कि वीडियो गेम खेलना, ज़्यादा ज़रूरी कामों में खलल पैदा न करे?

[पेज 19 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

हिंसा या अनैतिकता को बढ़ावा देनेवाले गेम खेलना, रेडियोएक्टिव कचरे से खेलने के बराबर है। रेडियोएक्टिव कचरे से जो भारी नुकसान होते हैं, हालाँकि वे फौरन नज़र नहीं आते, मगर उनसे बचना नामुमकिन है

[पेज 18 पर बक्स]

आप कितनी बार कंप्यूटर और वीडियो गेम खेलते हैं?

❑ कभी-कभार

❑ हफ्ते में एक बार

❑ हर दिन

आप एक गेम खेलने में कितना वक्‍त बिताते हैं?

❑ चंद मिनट

❑ एक घंटा या उससे कम

❑ दो घंटे से ज़्यादा

आपको किस तरह के गेम खेलना सबसे ज़्यादा पसंद है?

❑ कार दौड़

❑ खेलकूद

❑ दुश्‍मनों को गोली से उड़ाना

❑ कोई और गेम

यहाँ उन कंप्यूटर और वीडियो गेमों के नाम लिखिए, जो आप जानते हैं कि आपको नहीं खेलने चाहिए।

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[पेज 20, 21 पर बक्स/तसवीर]

माता-पिताओं के लिए एक पैगाम

लेख पढ़ने के बाद, आप समझ गए होंगे कि किशोर उम्र में आप जो वीडियो गेम खेलते थे और आज के बच्चे जो वीडियो गेम खेलते हैं, उनमें ज़मीन-आसमान का फर्क है। तो फिर माता-पिता होने के नाते, आप अपने बच्चे को वीडियो गेमों के खतरों को पहचानने और उनसे दूर रहने में कैसे मदद दे सकते हैं?

अगर आप वीडियो गेम बनानेवाली कंपनियों को ही लानत दें या फिर ज़ोर देकर कहें कि वीडियो गेम खेलना वक्‍त की बरबादी है, तो इसका कोई फायदा नहीं होगा। याद रखिए, सभी गेम बुरे नहीं हैं। मगर हाँ, इसमें काफी वक्‍त ज़ाया हो सकता है और एक इंसान को इसकी लत भी लग सकती है। इसलिए वक्‍त निकालकर यह जाँचिए कि आपका बच्चा इन गेमों को खेलने में कितना समय बिताता है। साथ ही, यह भी देखिए कि उसे किस तरह के गेम पसंद हैं। आप अपने बच्चे से कुछ इस तरह के सवाल पूछ सकते हैं:

तुम्हारी क्लास के साथियों का मन-पसंद गेम कौन-सा है?

◼ इस गेम में क्या-क्या होता है?

◼ तुम्हें क्या लगता है, तुम्हारे साथियों को यह गेम खेलना इतना पसंद क्यों है?

आप शायद यह जानकर हैरान रह जाएँ कि आपको जितना लगता है कि आपका बच्चा वीडियो गेम के बारे में जानता है, वह उससे भी कहीं ज़्यादा जानता है! हो सकता है वह ऐसे गेम भी खेल चुका हो, जो आपको लगता है कि अच्छे नहीं हैं। अगर ऐसी बात है, तो गुस्से से उस पर बरस मत पड़िए। इसके बजाय, इस मौके का फायदा उठाइए और अपने बच्चे को परख-शक्‍ति पैदा करने में मदद दीजिए।—इब्रानियों 5:14.

अपने बच्चे से ऐसे सवाल पूछिए जिनसे वह समझ सके कि उन गेमों को खेलने का उसका जी क्यों करता है, जो गलत हैं। जैसे कि आप उससे यह पूछ सकते हैं:

जब तुम्हें वह गेम खेलने की इजाज़त नहीं दी जाती है, तो क्या तुम्हें लगता है कि तुम दूसरे बच्चों से जुदा हो?

जैसा कि लेख के पहले पेज पर बताया गया है, कुछ जवान फलाँ गेम इसलिए खेलते हैं क्योंकि जब उनके दोस्त उस गेम के बारे में बात करते हैं, तो वे भी उसके बारे में कुछ कह सकें। क्या आपका बच्चा भी इस वजह से वह गेम खेलता है? अगर हाँ, तो इस मामले से निपटने का आपका तरीका, उस मामले से अलग होगा जिसमें आपको पता चलता है कि आपके बच्चे को हिंसा और अनैतिकता को बढ़ावा देनेवाले गेम खेलने का शौक था।—कुलुस्सियों 4:6.

लेकिन तब क्या, अगर आपके बच्चे को फिलहाल हिंसा या अनैतिकता को बढ़ावा देनेवाले गेम खेलना पसंद है? कुछ जवान शायद झट-से यह सफाई दें कि कंप्यूटर गेम में दिखाए जानेवाले मार-काट से उन पर कोई असर नहीं होता। वे शायद यह दलील दें: “यह तो बस एक खेल है, मैं सचमुच में ऐसे काम थोड़े ही न करूँगा।” अगर आपका बच्चा भी यही रवैया दिखाए, तो आप उसका ध्यान भजन 11:5 पर दिला सकते हैं, जिसका हवाला पेज 20 पर दिया गया है। इस आयत में साफ लिखा है कि यहोवा सिर्फ हिंसा करनेवालों से ही नहीं, बल्कि हिंसा से प्रेम रखनेवालों से भी नफरत करता है। यही सिद्धांत लैंगिक अनैतिकता या दूसरे बुरे कामों पर भी लागू होता है, जिनके बारे में परमेश्‍वर के वचन में निंदा की गयी है।—भजन 97:10.

कुछ विशेषज्ञ ये सुझाव देते हैं:

सोने के कमरे जैसे एकांत जगह पर वीडियो गेम खेलने की इजाज़त मत दीजिए।

◼ कुछ नियम बनाइए (जैसे, जब तक आपका बच्चा अपना होमवर्क पूरा नहीं कर लेता, रात का खाना नहीं खा लेता, या दूसरे ज़रूरी काम नहीं निपटा लेता, तब तक वह गेम नहीं खेल सकता)।

◼ दूसरे किस्म के खेलों से मिलनेवाले फायदों पर ज़ोर दीजिए, जिनसे शरीर की कसरत होती है।

◼ अपने बच्चों को वीडियो गेम खेलते देखिए। या फिर, इससे भी अच्छा होगा कि आप कभी-कभार उनके साथ मिलकर खेलें।

बेशक, अगर आप अपने बच्चों को सही किस्म के मनोरंजन का चुनाव करना सिखाना चाहते हैं, तो खुद आपको इस मामले में एक अच्छी मिसाल रखनी होगी। इसलिए खुद से पूछिए, ‘मैं किस तरह के टी.वी. कार्यक्रम और फिल्में देखता/ती हूँ?’ ऐसा सोचकर खुद को धोखा मत दीजिए कि अगर आप अपने लिए एक उसूल बनाएँगे और बच्चों के लिए अलग, तो वे इस दोगलेपन को नहीं पहचान पाएँगे!