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क्या इसे रचा गया था?

समुद्री सीपियों का आकार

समुद्री सीपियों का आकार

समुद्री सीपियों की वजह से उनके अंदर रहनेवाला कीड़ा यानी मोलस्क कठोर हालात में भी ज़िंदा रह पाता है। समुद्र-तल पर इन सीपियों पर ज़बरदस्त दबाव पड़ता है। उसका भी ये सीपियाँ सामना कर पाती हैं। मोलस्क की हिफाज़त करने की इनकी काबिलीयत देखकर इंजीनियरों ने सोचा कि वे भी ऐसी गाड़ियाँ या इमारतें तैयार करें, जिससे उनमें रहनेवालों की हिफाज़त हो। इसके लिए उन्होंने समुद्री सीपियों के आकार और उनकी बनावट का अध्ययन किया।

गौर कीजिए: इंजीनियरों ने दो तरह के आकार की समुद्री सीपियों का अध्ययन किया। एक, ऐसी सीपियाँ जिसके दो भाग होते हैं और ये भाग कब्ज़े से जुड़े होते हैं और दूसरी, जिनका आकार स्क्रू यानी चूड़ीदार पेंच जैसा होता है।

देखा गया कि जब दो भाग वाली सीपियों पर दबाव पड़ता है, तब उनकी ऊपरी सतह पर जो धारियाँ होती हैं, उनकी वजह से यह दबाव उनके कब्ज़े और ऊपरी सतह के किनारों की तरफ चला जाता है। लेकिन स्क्रू के आकार की सीपियों पर उनकी बाहरी सतह से केन्द्र पर दबाव पड़ता है और वहाँ से ऊपर चौड़े हिस्से की तरफ जाता है। दोनों तरह की सीपियों का आकार जिस तरह होता है, उसकी वजह से उन पर पड़नेवाला दबाव सीपियों के सबसे मज़बूत हिस्से की तरफ जाता है। ऐसे में अगर सीपी टूट-फूट भी जाए, तो भी मोलस्क को ज़्यादा नुकसान नहीं होगा।

वैज्ञानिकों ने थ्री-डी प्रिंटर से असली सीपियों के आकार की सीपियाँ तैयार कीं। इनमें एक आधे गोल आकार की और दूसरी शंकु (कोन) के आकार की थी। इन सीपियों की बनावट भी लगभग असली सीपियों जैसी थी। फिर वैज्ञानिकों ने इन पर दबाव डालकर एक प्रयोग किया। प्रयोग से पता चला कि असली सीपियाँ अपनी धारीदार सतह की वजह से प्रिंटरवाली सीपियों की साधारण सतह के मुकाबले दो गुना दबाव सह सकीं।

इस अध्ययन के नतीजे को लागू करने के बारे में साइंटिफिक अमेरिकन पत्रिका बताती है, ‘अगर एक दिन ऐसा हो कि आपको समुद्री सीपियों के आकार की कार चलाने को मिले, तो यह नया फैशन भी होगा और इसके अंदर बैठनेवालों के शरीर की हिफाज़त भी होगी।’

आपको क्या लगता है? क्या समुद्री सीपियों के आकार का खुद-ब-खुद विकास हुआ? या फिर इसे इस तरह रचा गया था?