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परिवार के लिए मदद | शादी का बंधन

जब आपके बच्चे अलग रहने लगें

जब आपके बच्चे अलग रहने लगें

चुनौती

पति-पत्नी के सामने अकसर सबसे बड़ी मुश्किल तब खड़ी होती है, जब उनके बच्चे बड़े होकर अलग रहने लगते हैं। अब जब उनका आशियाना खाली हो गया है, तो उन्हें ऐसा लगता है कि वे एक-दूसरे के लिए अजनबी हो गए हैं। परिवार के सलाहकार एम. गैरी न्यूमन कहते हैं, “मैं ऐसे बहुत-से लोगों को सलाह देता हूँ, जिन्हें समझ में नहीं आता कि जीवन-साथी से अपना रिश्ता कैसे दोबारा मज़बूत करें। अब जब बच्चे साथ नहीं हैं, तो मानो उनके पास बात करने के लिए कुछ है ही नहीं।” *

क्या आप पति-पत्नी का भी कुछ ऐसा ही हाल है? हिम्मत मत हारिए, आपके रिश्ते में आयी दूरियाँ कम हो सकती हैं। लेकिन आइए पहले देखें कि जीवन के इस पड़ाव पर आकर पति-पत्नी के बीच दूरियाँ क्यों आ जाती हैं।

ऐसा क्यों होता है?

सालों से सिर्फ बच्चों के बारे में सोचते आए हैं। माता-पिता बच्चों का हमेशा भला चाहते हैं, इसलिए ज़्यादातर लोग अपने जीवन-साथी की ज़रूरतों से पहले बच्चों के बारे में सोचते हैं। वे माता-पिता की ज़िम्मेदारी निभाते-निभाते यह भूल जाते हैं कि वे एक पति या पत्नी भी हैं। इसका एहसास उन्हें तब होता है, जब बच्चे अलग रहने लगते हैं। उनसठ साल की एक स्त्री ने कहा, “जब बच्चे साथ थे, तब कुछ काम तो हम साथ मिलकर कर लिया करते थे। लेकिन जब वे चले गए, तो हम दोनों की राहें अलग हो गयीं।” उनकी ज़िंदगी में एक वक्‍त तो ऐसा आया कि इस स्त्री ने अपने पति से कह दिया, “अब हम एक-दूसरे की परेशानी बन गए हैं।”

कुछ पति-पत्नी इस नए हालात में खुद को ढालने के लिए तैयार नहीं रहते। अँग्रेज़ी में लिखी खाली घोंसला नाम की किताब में बताया गया है, “बहुत-से पति-पत्नियों को लगता है, जैसे उनकी नयी-नयी शादी हुई हो।” उन्हें लगता है कि अब उनके बीच कुछ मेल नहीं खाता, इसलिए वे अपने-अपने शौक पूरे करने में लग जाते हैं। अब मानो वे पति-पत्नी नहीं, बस एक छत के नीचे रह रहे दो अजनबी हैं।

ज़िंदगी के इस नए पड़ाव पर मुश्किलें तो आती हैं, पर खुशी की बात है कि आप उनका सामना कर सकते हैं और इस नए हालात का फायदा उठा सकते हैं। पवित्र शास्त्र बाइबल इस मामले में आपकी मदद कर सकती है। आइए देखें कैसे।

आप क्या कर सकते हैं?

बदलाव को कबूल कीजिए। पवित्र शास्त्र में बताया गया है कि बड़े होने पर बच्चे अपने माता-पिता से अलग होकर अपना घर बसाएँगे। (उत्पत्ति 2:24) माता-पिता होने के नाते आप यही तो चाहते थे कि एक दिन आपके बच्चे अपना घर बसाएँ, तभी तो आपने उन्हें कुछ हुनर सिखाए। सोचिए कि अब जब आपकी मेहनत रंग लायी है, तो क्या यह आपके लिए गर्व की बात नहीं?​—पवित्र शास्त्र से सलाह: मरकुस 10:7.

इसमें कोई दो राय नहीं कि आप हमेशा अपने बच्चों के माता-पिता रहेंगे। लेकिन अब आपके लिए हर वक्‍त उन पर नज़र रखना ज़रूरी नहीं है। हाँ, आप उन्हें सलाह ज़रूर दे सकते हैं। इस बदलाव की वजह से अब आप अपने जीवन-साथी पर ज़्यादा ध्यान दे पाएँगे, साथ ही बच्चों से भी अच्छा रिश्ता रख पाएँगे। *​—पवित्र शास्त्र से सलाह: मत्ती 19:6.

अपनी चिंता-परेशानियों के बारे में बात कीजिए। अपने साथी को बताइए कि ज़िंदगी में आए इस बदलाव की वजह से आपको कैसा लगता है और जब आपका साथी अपने दिल की बात बताए, तो उसकी भी सुनिए। सब्र रखिए और समझ से काम लीजिए। पति-पत्नी के नाते अपना रिश्ता दोबारा मज़बूत करने में वक्‍त लग सकता है, पर आपकी मेहनत बेकार नहीं जाएगी।​—पवित्र शास्त्र से सलाह: 1 कुरिंथियों 13:4.

सोचिए कि आप साथ मिलकर कौन-सी नयी-नयी चीज़ें कर सकते हैं। आपस में बात कीजिए कि आप दोनों मिलकर कौन-सी मज़ेदार चीज़ें कर सकते हैं या कौन-से लक्ष्य हासिल कर सकते हैं। बच्चों की परवरिश करके आपने काफी-कुछ सीखा होगा। क्यों न अपने तजुरबे से दूसरे माता-पिताओं की मदद करें?​—पवित्र शास्त्र से सलाह: अय्यूब 12:12.

साथ निभाने का इरादा फिर से पक्का कीजिए। अपने साथी के उन गुणों के बारे में सोचिए, जो आपको एक-दूसरे के करीब लाए थे। यह भी सोचिए कि आप दोनों ने मिलकर क्या-क्या चीज़ें कीं और किस तरह मिलकर मुसीबतों के तूफान का सामना किया। आपकी ज़िंदगी का यह नया पड़ाव भी खूबसूरत हो सकता है। आप दोनों के पास यह अच्छा मौका है कि अपनी शादी का बंधन मज़बूत करें और अपने प्यार की लौ फिर से जलाएँ।

^ पैरा. 4 दिल से बेवफाई (अँग्रेज़ी) नाम की किताब से।

^ पैरा. 12 अगर आप बच्चों की परवरिश कर रहे हैं, तो भी याद रखिए कि आप और आपका जीवन-साथी “एक तन” हैं। (मरकुस 10:8) जब बच्चे देखते हैं कि उनके माता-पिता का रिश्ता गहरा है, तो वे खुश और सुरक्षित महसूस करते हैं।