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उनके विश्वास की मिसाल पर चलिए | हनोक

“उसने परमेश्वर को खुश किया”

“उसने परमेश्वर को खुश किया”

आज से 5,000 साल पहले हनोक नाम का एक आदमी था। वह 365 साल जीया। आज के ज़माने के हिसाब से देखा जाए, तो करीब चार इंसानों की उम्र के बराबर। आज हम सोच भी नहीं सकते कि कोई इतना भी जी सकता है। लेकिन उस समय लोग आज से कहीं ज़्यादा साल जीते थे। इस वजह से हम कह सकते हैं कि अपने ज़माने में हनोक इतनी उम्र होने के बावजूद बूढ़ा नहीं था। जब वह पैदा हुआ, तब पहला इंसान आदम जीवित था। उस वक्‍त आदम करीब 600 साल का था और उसके बाद 300 साल और जीया। आदम के बाद पैदा हुए कुछ लोग तो उससे भी ज़्यादा साल जीए। इससे हम समझ सकते हैं कि 365 साल की उम्र में भी हनोक काफी हट्टा-कट्टा रहा होगा। वह इससे भी ज़्यादा समय तक जी सकता था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

हनोक की जान खतरे में थी। ज़रा सोचिए कि कैसे वह अपनी जान बचाने के लिए उन लोगों से छिपता फिर रहा होगा, जिन्हें उसने परमेश्वर का संदेश सुनाया था। उसकी आँखों के सामने बार-बार उनका गुस्से से तमतमाया चेहरा घूम रहा होगा। वे उससे नफरत करते थे। उसके संदेश को तो उन्होंने ठुकरा ही दिया, लेकिन जिस परमेश्वर ने उसे भेजा था, उसके लिए भी उनके मन में नफरत की आग सुलग रही थी। वे हनोक के परमेश्वर यहोवा को तो मार नहीं सकते थे, लेकिन हनोक को मार सकते थे। हनोक के मन में बार-बार यही खयाल आ रहा होगा कि शायद वह अपने परिवार से अब कभी नहीं मिल पाएगा। उसने अपनी पत्नी, बेटियों या अपने बेटे मतूशेलह या फिर अपने पोते लेमेक के बारे में भी सोचा होगा। (उत्पत्ति 5:21-23, 25) क्या उसकी आखिरी घड़ी आ पहुँची थी?

पवित्र शास्त्र में हनोक के बारे में ज़्यादा कुछ नहीं बताया गया है। शास्त्र में सिर्फ तीन जगह पर उसका ज़िक्र आता है, वह भी चंद शब्दों में। (उत्पत्ति 5:21-24; इब्रानियों 11:5; यहूदा 14, 15) लेकिन इन आयतों से इतनी जानकारी तो मिल जाती है कि हम एक ऐसे इंसान की तसवीर बना सकें, जो परमेश्वर पर विश्वास रखने में बहुत अच्छी मिसाल है। क्या आप पर परिवार की देखभाल करने की ज़िम्मेदारी है? क्या आपके सामने कभी ऐसे हालात आए हैं, जब आपने अकेले ही सच का साथ दिया हो? अगर हाँ, तो आप हनोक के विश्वास की मिसाल से बहुत कुछ सीख सकते हैं।

“हनोक सच्चे परमेश्वर के साथ-साथ चलता रहा”

जब हनोक पैदा हुआ, तब इंसान बहुत बिगड़ गए थे। हनोक आदम से सातवीं पीढ़ी में पैदा हुआ था। जब आदम और उसकी पत्नी हव्वा को बनाया गया था, तो वे परिपूर्ण थे यानी पूरी तरह सेहतमंद थे। बाद में वे ऐसे नहीं रहे। इस परिपूर्णता का असर अब भी इंसानों पर था। इस वजह से इंसान अब भी लंबी उम्र जी रहे थे। मगर नैतिक तौर पर वे पूरी तरह गिर चुके थे और परमेश्वर की आज्ञाएँ नहीं मानते थे। हर जगह मार-धाड़, खून-खराबा हो रहा था। यह सिलसिला तो आदम की दूसरी पीढ़ी कैन के ज़माने से ही शुरू हो गया, जब उसने अपने भाई हाबिल को मार डाला था। कैन के बाद की पीढ़ियों में से एक आदमी तो कैन से भी ज़्यादा क्रूर था और उसे अपने इस स्वभाव पर बहुत घमंड था। आदम की तीसरी पीढ़ी में एक और बुराई चल पड़ी। शास्त्र में लिखा है कि लोग यहोवा परमेश्वर का नाम पुकारने लगे। वह इसलिए नहीं कि वे उसकी उपासना करना चाहते थे, बल्कि वे उसका अनादर करने और उसे बदनाम करने के इरादे से ऐसा कर रहे थे।—उत्पत्ति 4:8, 23-26.

हनोक के ज़माने में इस तरह की उपासना बहुत ज़ोरों पर थी। जब हनोक बड़ा हुआ, तब उसे एक फैसला करना था। क्या वह अपने ज़माने के लोगों के संग हो लेगा? या वह सच्चे परमेश्वर यहोवा के बारे में जानने की कोशिश करेगा, जिसने स्वर्ग और धरती बनायी है? उसने हाबिल के बारे में सुना ही होगा, जिसका उस पर गहरा असर हुआ होगा। हाबिल यहोवा की मरज़ी के मुताबिक उसकी उपासना करता था, जिस वजह से उसे मार डाला गया था। हनोक ने हाबिल की तरह यहोवा की उपासना करने का फैसला किया। उत्पत्ति 5:22 में लिखा है कि हनोक “सच्चे परमेश्वर के साथ-साथ चलता रहा।” इन शब्दों से पता चलता है कि उस वक्‍त दुनिया में दुष्ट लोगों के बीच वह अकेला ही परमेश्वर की उपासना कर रहा था। यह पहला इंसान है, जिसके बारे में बाइबल में इस तरह कहा गया है।

जब हनोक के बारे में यह बात कही गयी, तब वह 65 साल का था और एक बेटे का पिता था। उसके बेटे का नाम मतूशेलह था। उसकी पत्नी का नाम शास्त्र में नहीं बताया गया है, लेकिन यह बताया गया है कि उसके और भी “बेटे-बेटियाँ” हुईं। अगर घर के मुखिया को अपने परिवार की ज़रूरतें पूरी करने के साथ-साथ परमेश्वर के साथ भी चलना है, तो उसे परमेश्वर के बताए तरीके से ही अपना परिवार चलाना होगा। हनोक यह बात समझता था इसलिए उसने अपनी पत्नी के अलावा किसी और स्त्री की तरफ नज़र नहीं उठायी। (उत्पत्ति 2:24) उसने अपने बच्चों को भी यहोवा परमेश्वर के बारे में सिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इसका क्या नतीजा निकला?

इस बारे में शास्त्र में ज़्यादा कुछ नहीं बताया गया है। जैसे उसके बेटे मतूशेलह के बारे में नहीं लिखा है कि उसका परमेश्वर पर विश्वास था या नहीं। बस यह लिखा है कि वह सबसे ज़्यादा साल जीया और उसकी मौत उस साल हुई जिस साल जलप्रलय आया था। लेकिन मतूशेलह का एक बेटा था, लेमेक। वह करीब सौ साल का था, जब उसके दादा हनोक की मौत हुई। लेमेक परमेश्वर पर बहुत विश्वास करता था इसलिए यहोवा ने उसे उसके बेटे नूह के बारे में एक भविष्यवाणी करने के लिए उभारा, जो जलप्रलय के बाद पूरी हुई। बाइबल में नूह के लिए भी वही बात कही गयी है, जो उसके परदादा हनोक के बारे में कही गयी थी। हालाँकि नूह हनोक से कभी मिला नहीं था, मगर वह भी परमेश्वर के साथ-साथ चला। इसकी वजह यह है कि हनोक ने अपने बाद आनेवाली पीढ़ियों के लिए एक बढ़िया मिसाल रखी थी। उसके बारे में नूह को अपने पिता लेमेक या अपने दादा मतूशेलह या फिर हनोक के पिता येरेद से पता चला होगा। जब नूह पैदा हुआ, तब येरेद भी ज़िंदा था। जब नूह 366 साल का था, तब येरेद की मौत हुई।—उत्पत्ति 5:25-29; 6:9; 9:1.

अगर हनोक और आदम की तुलना करें, तो दोनों में ज़मीन-आसमान का फर्क है। आदम परिपूर्ण था, लेकिन वह परमेश्वर के खिलाफ गया और अपने बच्चों के लिए विरासत के नाम पर दुख छोड़ गया और साथ ही एक बुरी मिसाल। वहीं दूसरी तरफ हनोक अपरिपूर्ण था, लेकिन वह परमेश्वर के साथ चला और अपने बच्चों के लिए विरासत के नाम पर उसने विश्वास की एक अच्छी मिसाल रखी। जब हनोक 308 साल का हुआ, तब आदम की मौत हो गयी। आदम एक स्वार्थी व्यक्‍ति था। उसकी मौत पर उसके परिवार ने उसके लिए शोक मनाया या नहीं, हम नहीं जानते। मगर हम हनोक के बारे में इतना ज़रूर जानते हैं कि वह “सच्चे परमेश्वर के साथ-साथ चलता रहा।”—उत्पत्ति 5:24.

अगर आपका भी परिवार है, तो आप हनोक से क्या सीख सकते हैं? अपने परिवार की ज़रूरतें पूरी करना ज़रूरी है, लेकिन उससे भी ज़्यादा ज़रूरी है, अपने परिवार को परमेश्वर के करीब लाना। (1 तीमुथियुस 5:8) इसके लिए न सिर्फ आपको उन्हें अपनी बातों से सिखाना होगा, बल्कि अपनी मिसाल से भी। अगर आप हनोक की तरह परमेश्वर के साथ-साथ चलें और उसके स्तरों के मुताबिक जीएँ, तो आप भी अपने परिवार को एक अनमोल विरासत दे रहे होंगे और वह है आपकी बढ़िया मिसाल!

हनोक ने ‘लोगों के बारे में भविष्यवाणी की’

हनोक को शायद कई बार लगा हो कि वह अकेला है क्योंकि उस वक्‍त पूरी दुनिया में सिर्फ वही परमेश्वर पर विश्वास करता था। लेकिन यहोवा परमेश्वर ने उस पर ध्यान दिया। उसने एक दिन अपने इस वफादार सेवक से बात की। उसने हनोक से कहा कि वह लोगों को उसकी तरफ से संदेश दे। इस तरह परमेश्वर ने हनोक को अपना भविष्यवक्ता बनाया। वह पहला भविष्यवक्ता है, जिसका संदेश बाइबल में लिखा है। यह बात हमें यीशु के भाई यहूदा की लिखी चिट्ठी से पता चलती है, जिसे हनोक के कई सदियों बाद लिखा गया। इस चिट्ठी में यहूदा ने हनोक की भविष्यवाणी का ज़िक्र किया। *

हनोक ने क्या भविष्यवाणी की थी? उसने कहा, “देखो! यहोवा अपने लाखों पवित्र स्वर्गदूतों के साथ आया है ताकि उन सबको सज़ा दे और उन सब भक्‍तिहीन लोगों को उन भक्‍तिहीन कामों के लिए दोषी ठहराए जो उन्होंने परमेश्वर के खिलाफ जाकर किए थे और उन सभी घिनौनी बातों के लिए जो उन पापियों ने उसके खिलाफ कही थीं, उन्हें सज़ा दे।” (यहूदा 14, 15) जिस तरह हनोक ने यह बात कही, उससे लगता है मानो यहोवा ने वह काम शुरू कर दिया है जिसकी भविष्यवाणी की जा रही है। वह इसलिए कि जो बात कही जा रही है उसका पूरा होना इतना पक्का है कि उसे ऐसे बताया गया है मानो वह पूरी होने लगी है।—यशायाह 46:10.

हनोक ने बिना डरे दुष्ट लोगों को परमेश्वर का संदेश सुनाया

लोगों को परमेश्वर की तरफ से यह चेतावनी देना हनोक के लिए कैसा रहा होगा? गौर कीजिए कि उसने उस ज़माने के लोगों और उनके कामों के बारे में बताते वक्‍त कैसे शब्द इस्तेमाल किए, “भक्‍तिहीन लोगों,” “पापियों,” “भक्‍तिहीन कामों” और ‘काम जो उन्होंने परमेश्वर के खिलाफ जाकर किए थे।’ इस भविष्यवाणी से लोगों को यह एहसास कराया गया कि आदम और हव्वा के ज़माने से अब तक उन्होंने जो दुनिया बसायी थी, वह पूरी तरह भ्रष्ट है। जब यहोवा “अपने लाखों पवित्र स्वर्गदूतों के साथ” दुनिया का नाश करने आएगा, तो तबाही मच जाएगी। हनोक ने बिना डरे लोगों को परमेश्वर का यह ज़बरदस्त संदेश सुनाया, वह भी अकेले! उसके पोते लेमेक ने देखा होगा कि किस तरह उसके दादा हिम्मत से लोगों को यह चेतावनी दे रहे हैं। उस वक्‍त उसके मन में अपने दादा के लिए इज़्ज़त और भी बढ़ गयी होगी।

हनोक को परमेश्वर पर जो विश्वास था, उससे हम क्या सीख सकते हैं? हम खुद से पूछ सकते हैं कि क्या हम भी इस दुनिया को उसी नज़र से देखते हैं, जैसे परमेश्वर देखता है। हनोक ने जिस न्याय का ऐलान किया था, वैसा ही न्याय आज भी होनेवाला है। हनोक ने हिम्मत से लोगों को बताया था कि परमेश्वर उस वक्‍त की दुष्ट दुनिया का नाश करेगा और ठीक वही हुआ। यहोवा ने नूह के समय में जलप्रलय लाकर भक्‍तिहीन लोगों को नाश किया। यह नाश आगे होनेवाले उससे भी बड़े विनाश का एक नमूना था। (मत्ती 24:38, 39; 2 पतरस 2:4-6) बीते ज़माने की तरह हमारे समय में भी यहोवा अपने लाखों पवित्र स्वर्गदूतों के साथ भक्‍तिहीन लोगों का नाश करेगा। हममें से हरेक को हनोक की चेतावनी पर ध्यान देना चाहिए और लोगों को इस बारे में बताना चाहिए। हो सकता है हमारे परिवार के सदस्यों और दोस्तों की सोच हमारी तरह न हो। शायद हमें कई बार लगे कि हम अकेले हैं। ऐसे में हम याद रख सकते हैं कि यहोवा ने हनोक का साथ कभी नहीं छोड़ा और न ही वह आज अपने वफादार सेवकों का साथ छोड़ेगा!

“दूसरी जगह पहुँचा दिया गया ताकि वह मौत का मुँह न देखे”

हनोक की मौत कैसे हुई? जैसे शास्त्र में उसकी ज़िंदगी के बारे में ज़्यादा कुछ नहीं लिखा है, वैसे ही उसकी मौत के बारे में भी ज़्यादा कुछ नहीं बताया गया है। उत्पत्ति की किताब में बस इतना लिखा है, “हनोक सच्चे परमेश्वर के साथ-साथ चलता रहा। इसके बाद वह नहीं रहा क्योंकि परमेश्वर ने उसे ले लिया।” (उत्पत्ति 5:24) परमेश्वर ने उसे किस मायने में ले लिया? इन शब्दों के लिखे जाने के सालों बाद पौलुस नाम के एक व्यक्‍ति ने शास्त्र में लिखा, “विश्वास की वजह से ही हनोक दूसरी जगह पहुँचा दिया गया ताकि वह मौत का मुँह न देखे। और वह कहीं नहीं पाया गया क्योंकि परमेश्वर ने उसे दूसरी जगह पहुँचा दिया था। मगर उसके जाने से पहले उसे यह गवाही दी गयी कि उसने परमेश्वर को खुश किया है।” (इब्रानियों 11:5) इन शब्दों का क्या मतलब है कि “हनोक दूसरी जगह पहुँचा दिया गया ताकि वह मौत का मुँह न देखे”? बाइबल के कुछ अनुवादों में कहा गया है कि परमेश्वर हनोक को स्वर्ग ले गया। लेकिन ऐसा नहीं हो सकता, क्योंकि शास्त्र में साफ बताया गया है कि यीशु मसीह ही वह पहला इंसान था, जिसकी मौत होने पर उसे स्वर्ग में जीवन दिया गया।—यूहन्ना 3:13.

फिर किस मायने में “हनोक दूसरी जगह पहुँचा दिया गया ताकि वह मौत का मुँह न देखे”? यहोवा ने हनोक को शायद इस तरह मौत की नींद सुला दिया, ताकि दुश्मनों के हाथों उसकी दर्दनाक मौत न हो। लेकिन उससे पहले हनोक को “गवाही दी गयी कि उसने परमेश्वर को खुश किया है।” कैसे? हो सकता है कि अपनी मौत से ठीक पहले हनोक को परमेश्वर की तरफ से एक दर्शन मिला हो, जिसमें यह धरती एक खूबसूरत बगीचे जैसी दिख रही थी। इस तरह हनोक को भविष्य की एक झलक दिखाकर परमेश्वर ने ज़ाहिर किया कि वह हनोक की सेवा से खुश था। इसके बाद हनोक मौत की नींद सो गया। पौलुस ने हनोक और परमेश्वर से प्यार करनेवाले कुछ और स्त्री-पुरुषों के बारे में लिखा, “ये सभी लोग विश्वास रखते हुए मर गए।” (इब्रानियों 11:13) इस घटना के बाद हनोक के दुश्मनों ने उसके शरीर को ढूँढ़ा होगा, लेकिन “वह कहीं नहीं पाया गया।” यहोवा ने उसका शरीर गायब कर दिया ताकि लोग उसका अनादर न कर पाएँ या उसे पूजने न लगें। *

शास्त्र में लिखी इन बातों को ध्यान में रखते हुए हम कल्पना कर सकते हैं कि हनोक की ज़िंदगी का अंत किस तरह हुआ होगा। हम दावे के साथ तो नहीं कह सकते कि हनोक की मौत ठीक किस तरह हुई, लेकिन शायद कुछ ऐसा हुआ हो। हनोक ने परमेश्वर के न्याय का जो संदेश सुनाया, उस वजह से कुछ लोग आग-बबूला हो गए हैं और उसकी जान लेना चाहते हैं। हनोक अपनी जान बचाकर भाग रहा है और बहुत थक गया है। तभी उसे छिपने के लिए जगह दिखायी देती है। मगर वह जानता है कि वह वहाँ ज़्यादा देर छिप नहीं पाएगा, क्योंकि दुश्मन किसी भी पल आकर उसकी जान ले सकते हैं। जब वह रुकता है, तो वह परमेश्वर से प्रार्थना करता है। फिर उसे बहुत सुकून मिलता है। परमेश्वर उसे एक दर्शन दिखाता है। दर्शन इतना असल है कि मानो हनोक खुद वहाँ पर मौजूद हो।

जब परमेश्वर ने हनोक को ले लिया, तब दुश्मन उसकी जान के पीछे पड़े थे

सोचिए कि हनोक के सामने ऐसी दुनिया का दृश्य है, जो उसकी दुनिया से बिलकुल अलग है। यह बहुत खूबसूरत है, ठीक जैसे अदन नाम का बाग था, जिसे परमेश्वर ने लगाया था। लेकिन जैसे अदन बाग में स्वर्गदूत पहरा देते थे और किसी इंसान को अंदर नहीं जाने देते थे, वैसा यहाँ कुछ नहीं था। हनोक को बहुत-से लोग दिखायी दे रहे हैं। स्त्री-पुरुष, सभी सेहतमंद हैं, सभी जवान हैं। उनके बीच शांति है। कोई किसी से नफरत नहीं करता, न ही धर्म की वजह से किसी पर ज़ुल्म ढाया जा रहा है, जैसे हनोक के समय में हो रहा था। हनोक को यकीन हो जाता है कि यहोवा उससे प्यार करता है और उससे खुश है। उसे यह भी भरोसा है कि उसे ऐसे ही माहौल में जीने के लिए बनाया गया है और एक दिन यहीं उसका घर होगा। यह सब देखकर उसे बहुत सुकून मिलता है और वह अपनी आँखें बंद कर लेता है। फिर वह गहरी नींद में सो जाता है।

हनोक आज भी मौत की गहरी नींद में सो रहा है। लेकिन वह यहोवा परमेश्वर की याद में महफूज़ है। बाद में जैसे यीशु ने वादा किया, वह दिन आनेवाला है जब यहोवा की याद में बसे सभी लोग यीशु की आवाज़ सुनेंगे और जी उठेंगे। जब वे अपनी आँखें खोलेंगे, तो खुद को एक खूबसूरत और शांति-भरी दुनिया में पाएँगे।—यूहन्ना 5:28, 29.

क्या आप भी ऐसी दुनिया में जीना चाहते हैं? आप वहाँ हनोक से भी मिल पाएँगे। सोचिए कि हम उससे कितनी सारी अच्छी बातें सीख पाएँगे। वही हमें बता पाएगा कि उसकी आखिरी घड़ी के बारे में हमने जो कल्पना की थी, वह सच है या नहीं। लेकिन आज भी हम उससे एक बात सीख सकते हैं, जो और भी ज़रूरी है। हनोक के बारे में बताने के बाद पौलुस ने कहा, “विश्वास के बिना परमेश्वर को खुश करना नामुमकिन है।” (इब्रानियों 11:6) हनोक का परमेश्वर पर जो विश्वास था और उसने जिस तरह हिम्मत से काम लिया, वह हमारे लिए क्या ही बढ़िया मिसाल है!

^ पैरा. 14 बाइबल के कुछ विद्वान दावा करते हैं कि यहूदा ने ‘हनोक की किताब’ से यह भविष्यवाणी लिखी। लेकिन यह किताब बाइबल का हिस्सा नहीं है। इसके अलावा इस किताब में मनगढ़ंत बातें लिखी हैं और कोई नहीं जानता कि इसे किसने लिखा। कुछ लोग बस यह झूठा दावा करते हैं कि हनोक इसका लेखक है। माना कि इसमें हनोक की भविष्यवाणी एकदम सही लिखी गयी है, लेकिन वह किसी पुराने दस्तावेज़ से लेकर लिखी गयी होगी या ऐसी कहानियों से, जो पुरखाओं से चली आ रही हों। आज हमारे पास वे दस्तावेज़ या कहानियाँ नहीं हैं। यहूदा को शायद ऐसे ही किसी दस्तावेज़ से या कहानी से यह भविष्यवाणी पता चली हो या हो सकता है कि उसने यीशु से इस बारे में जाना हो। यीशु को हनोक के बारे में पता था, क्योंकि उस वक्‍त वह उसे स्वर्ग से देख रहा था।

^ पैरा. 20 इसी तरह परमेश्वर ने मूसा और यीशु के शरीर को भी गायब कर दिया ताकि उनके साथ भी ऐसा कुछ न किया जाए।—व्यवस्थाविवरण 34:5, 6; लूका 24:3-6; यहूदा 9.